अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और सही तरीका

अनुलोम विलोम प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम के मुख्य प्रकारों में से एक है। यह बहुत महत्वपूर्ण और फ़ायदेमंद प्राणायाम है। यह तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसमें अनुलोम का अर्थ है दाईं नासिका और विलोम का मतलब है बाईं नासिका और प्राणायाम का मतलब होता है सांस लेना। तो इस आसन का मतलब होता है दाईं और बाईं नासिका से सांस लेना और छोड़ना।


अनुलोम- विलोम प्राणायाम के फायदे

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने से खून साफ होता है।
  • शरीर में खून के प्रवाह को सुधारने में मदद करता है।
  • यह श्वसन तंत्र को (respiratory system) मजबूत करने में मदद करता है।
  • शरीर में मौजूद शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करता है और दिमाग को शांत करने में मदद करता है।
  • इसका नियमित अभ्यास खर्राटे लेने की समस्या से भी राहत दिला सकता है।
  • यह प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है।
  • शारीरिक तापमान को सही बनाए रखने में मदद करता है।


अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीके

  • अनुलोम विलोम का अभ्यास करने के लिए ध्यान की अवस्था में बैठ जाएं। 
  • पालथी मारकर जमीन पर बैठकर, आंखें बंद होनी चाहिए। कमर और स्पाइन को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखे। 
  • शरीर को रिलैक्स रखें और गहरी सांस लेते रहें।
  • अब अपने बाएं हाथ की उंगलियों को ज्ञान मुद्रा में लाएं और दाएं हाथ की उंगलियों से नासिकाग्र मुद्रा बनाएं।
  • अब दाएं हाथ की अनामिका उंगली से बाएं नथुने को बंद करें और दाएं नथुने से सांस लें। अब दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नथुने को बंद करें और बाएं नथुने से सांस छोड़ें। 
  • अब दाएं नथुने को बंद रखते हुए ही बाएं नथुने से गहरी सांस लें।
  • अब अनामिका उंगली से बाएं नथुने को बंद कर लें और दाएं नथुने से सांस छोड़ें।
  • इसी तरह पांच बार दोहराएं और फिर सामान्य पदमासन में आ जाएं। 
  • कुछ देर ध्यान की अवस्था में रहकर फिर से इसका अभ्यास शुरू करें।




लाभ

  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम के अभ्यास से हम अतिरिक्त शुद्ध वायु भीतर लेते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड यानी दूषित वायु बाहर निकाल देते हैं। इससे रक्त की शुद्धि होती है
  • मस्तिष्क की विचार क्षमता गहरी होती है और एकाग्रता बढ़ती है. मानसिक तनाव का स्तर घटता है. इसलिए हृदय रोगी और जिनका रक्तचाप बढ़ा हुआ है और उन्हें अनुलोम-विलोम का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए।
  • शुद्ध रक्त हृदय के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक पहुँच जाता है और उन्हें पोषण प्रदान करता है. फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है और प्राणशक्ति का स्तर बढ़ता है।


अनुलोम विलोम के अभ्यास के दौरान बरतें ये सावधानियां

  • इस प्राणायाम का अभ्यास खाली पेट ही करें।
  • इस प्राणायाम को करते वक्त उतनी ही देर सांस रोकें जितनी देर रोकने में आप समर्थ हों।
  • अगर आपको किसी भी तरह की सांस से जुड़ी स्वास्थ्य समस्या हो जैसे अस्थमा, तो इस प्राणायाम का अभ्यास ना करें।
  • हार्ट प्रॉब्लम होने पर लोग या दिल के रोगियों को इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए।



साँस लेने और छोड़ने की आवाज़ नहीं होनी चाहिए. अभ्यास के दौरान साँस नहीं रोकनी चाहिए
अनुलोम विलोम का अभ्यास दस मिनट तक सुबह या शाम खाली पेट कर सकते हैं